सिवादे-शामे-ग़म से रूह थर्राती है क़ालिब में।
सिवादे-शामे-ग़म से रूह थर्राती है क़ालिब में। नहीं मालूम क्या होगा, जो इस शब की…
Read Moreसिवादे-शामे-ग़म से रूह थर्राती है क़ालिब में। नहीं मालूम क्या होगा, जो इस शब की…
Read Moreमेरी सूरत देखकर क्यों तुमने ठंड़ी साँस ली? बेकसों पर रहम—आईने-सितमगारी नहीं। हर तरफ़ से…
Read Moreवो एक तुम कि सरापा बहारो-नाज़शे-गुल। वो एक मैं कि नहीं सूरत आशनाए-बहार॥ ज़मीं पै…
Read Moreसोज़ाँ ग़मे-जावेद से दिल भी है जिगर भी। इक आह का शोला कि इधर भी…
Read Moreसुन लो कि रंगे-महफ़िल कुछ मौतबर नहीं है। है इक ज़बान गोया, शमये-सहर नहीं है॥…
Read Moreअभी मरना बहुत दुश्वार है ग़म की कशाकश से। अदा हो जायेगा यह फ़र्ज़ बी…
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