क्योंकर यहाँ तुम्हारी तबीयत बहल गई।
क्योंकर यहाँ तुम्हारी तबीयत बहल गई। इतनी ही ज़िंदगी हमें ऐ खिज़्र! खल गई॥ जब…
Read Moreक्योंकर यहाँ तुम्हारी तबीयत बहल गई। इतनी ही ज़िंदगी हमें ऐ खिज़्र! खल गई॥ जब…
Read Moreइन्सान को उसने ख़ाक से पाक क्या। जी-हौसलये-ओ-साहबे-इदरीक किया॥ पहले तो बनाया उसे गंजीनये-इल्म। फिर…
Read Moreन ख़ामोश रहना मेरे हम-सफ़ीरो! जब आवाज़ दूँ तुम भी आवाज़ देना॥ ग़ज़ल उसने छेडी़…
Read Moreवो खुद सर से क़दम तक डूब जाते हैं पसीने में। मेरी महफ़िल में जो…
Read Moreतालिबे-दीद पर आँच आए यह मंज़ूर नहीं। दिल में है वरना वो बिजली जो सरे-तूर…
Read Moreसौदा-ए-सज्दा शाम ओ सहर मेरे सर में है ऐ बुत कशिश कुछ ऐसी तिरे संग-ए-दर…
Read Moreमैं और हम-आग़ोश हूँ उस रश्क-ए-परी से कब इस की तवक़्क़ो मुझे बे-बाल-ओ-परी से जागेंगे…
Read Moreरोता हमें जो देखा दिल उस का पिघल गया जादू-ए-चश्म उस बुत-ए-पुर-फ़न पे चल गया…
Read Moreजनाज़ा धूम से उस आशिक़-ए-जाँ-बाज़ का निकले तमाशे को अजब क्या वो बुत-ए-दम-बाज़ आ निकले…
Read Moreदेता है मुझ को चर्ख़-ए-कुहन बार बार दाग़ उफ़ एक मेरा सीना है उस पर…
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