क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ
क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ और असीरे-हल्क़ा-ए-दामे-हवा क्योंकर हुआ जाए हैरत…
Read Moreक्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ और असीरे-हल्क़ा-ए-दामे-हवा क्योंकर हुआ जाए हैरत…
Read Moreजब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही खुलते हैं ग़ुलामों पर असरार-ए-शहंशाही ‘अत्तार’ हो ‘रूमी’ हो ‘राज़ी’…
Read Moreख़िरदमन्दों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है कि मैं इस फ़िक्र में रहता…
Read Moreचमक तेरी अयाँ बिजली में आतिश में शरारे में झलक तेरी हवेदा चाँद में सूरज…
Read Moreलब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी ज़िन्दगी शमअ की सूरत हो ख़ुदाया मेरी…
Read Moreउट्ठो मेरी दुनिया के ग़रीबों को जगा दो ख़ाक-ए-उमरा के दर-ओ-दीवार हिला दो गर्माओ ग़ुलामों…
Read Moreख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं तेरा इलाज नज़र के सिवा कुछ…
Read Moreजिन्हें मैं ढूँढता था आस्मानों में ज़मीनों में वो निकले मेरे ज़ुल्मतख़ाना-ए-दिल के मकीनों में…
Read Moreहम मशरिक़ के मुसलमानों का दिल मग़रिब में जा अटका है वहाँ कुंतर सब बिल्लोरी…
Read Moreगेसू-ए- ताबदार को और भी ताबदार कर होश-ओ-ख़िराद शिकर कर क़ल्ब-ओ-नज़र शिकर कर तू है…
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