दयारे-इश्क़ में अपना मुक़ाम पैदा कर
दयारे-इश्क़ में अपना मुक़ाम पैदा कर नया ज़माना नए सुब्ह-ओ-शाम पैदा कर ख़ुदा अगर दिले-फ़ितरत-शनास…
Read Moreदयारे-इश्क़ में अपना मुक़ाम पैदा कर नया ज़माना नए सुब्ह-ओ-शाम पैदा कर ख़ुदा अगर दिले-फ़ितरत-शनास…
Read Moreन तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए जहाँ है तेरे लिए तू…
Read Moreसच कह दूँ ऐ ब्रह्मन गर तू बुरा न माने तेरे सनम कदों के बुत…
Read Moreगुलज़ारे-हस्ती-बूद न बेगानावार देख है देखने की चीज़, इसे बार-बार देख आया है तू जहाँ…
Read Moreलब पे’ आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी, ज़िन्दगी शमा की सूरत हो ख़ुदाया…
Read Moreलबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द ये हिन्दियों के…
Read Moreजमहूरियत इस राज़ को इक मर्दे-फ़िरंगी ने किया फ़ाश हरचंद कि दाना इसे खोला नही…
Read Moreपरवाना परवाने की मंज़िल से बहुत दूर है जुगनू क्यों आतिशे-बेसूद से मग़रूर है जुगनू…
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