जो कोई हद हो मुअ़य्यन तो शौक़, शौक़ नहीं।
जो कोई हद हो मुअ़य्यन तो शौक़, शौक़ नहीं। वो कमयाब है जो कमयाब हो…
Read Moreजो कोई हद हो मुअ़य्यन तो शौक़, शौक़ नहीं। वो कमयाब है जो कमयाब हो…
Read Moreजो दर्द मिटने-मिटते भी मुझको मिटा गया। क्या उसका पूछना कि कहाँ था कहाँ न…
Read Moreदो घडी़ को दे-दे कोई अपनी आँखों की जो नींद। पाँव फैला दूँ गली में…
Read Moreनैरंगियाँ चमन की तिलिस्मे-फ़रेब हैं। उस जा भटक रहा हूँ जहाँ आशियाँ न था॥ पाबंदियों…
Read Moreक्यों किसी रहबर से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता। मौजे-दरिया खु़द लगा लेती है साहिल…
Read Moreआ गई मंज़िले-मुराद, बाँगेदरा को भूल जा। ज़ाते-खु़दा में यूँ हो महव, नामे-ख़ुदा को भूल…
Read Moreरहते न तुम अलग-थलग हम न गुज़रते आप से। चुपके से कहनेवाली बात कहनी पड़ी…
Read Moreमुझे रहने को वो मिला है घर कि जो आफ़तों की है रहगुज़र। तुम्हें ख़ाकसारों…
Read Moreइक जाम-ए-बोसीदा हस्ती और रूह अज़ल से सौदाई। यह तंग लिबास न यूँ चढ़ता ख़ुद…
Read Moreक़फ़स से ठोकरें खाती नज़र जिस नख़्ल तक पहुँची। उसी पर लेके इक तिनका बिनाए-आशियाँ…
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