न यह कहो “तेरी तक़दीर का हूँ मैं मालिक।
न यह कहो “तेरी तक़दीर का हूँ मैं मालिक। बनो जो चाहो ख़ुदा के लिए,…
Read Moreन यह कहो “तेरी तक़दीर का हूँ मैं मालिक। बनो जो चाहो ख़ुदा के लिए,…
Read Moreआफ़त में पडे़ दर्द के इज़हार से हम और। याद आ गये भूले हुए कुछ…
Read Moreजवाब देने के बदले वे शक्ल देखते हैं। यह क्या हुआ ,मेरे चेहरे को, अर्ज़ेहाल…
Read Moreसाथ हर हिचकी के लब पर उनका नाम आया तो क्या? जो समझ ही में…
Read Moreजिसमें कैफ़ेग़म नहीं, बाज़ आये ऐसे दिल से हम। यह भी देना है कोई? मय…
Read Moreक़रीबेसुबह यह कहकर अज़ल ने आँख झपका दी। “अरे ओ हिज्र के मारे, तुझे अब…
Read Moreमहमाँनवाज़, वादिये-गु़रबत की ख़ाक थी। लाशा किसी ग़रीब का उरियाँ नहीं रहा॥ आँसू बना जबीं…
Read Moreपलक झपकी कि मंज़र खत्म था बर्क़े-तजल्ली का। ज़ता सी न्यामतेदीद, उसका भी यूँ रायगाँ…
Read Moreखुदारा ! न दो बदगुमानी का मौक़ा। कहलवा के औरों से पैग़ाम अपना॥ हविसकार आशिक…
Read Moreज़माने से नाज़ अपने उठवानेवाले। मुहब्बत का बोझ आप उठाना पड़ेगा॥ सज़ा तो बजा है,…
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