ये मतलब है कि मुज़्तर ही रहूँ मैं बज़्म-ए-क़ातिल में
ये मतलब है कि मुज़्तर ही रहूँ मैं बज़्म-ए-क़ातिल में तड़पता लोटता दाख़िल हुआ आदाब-ए-महफ़िल…
Read Moreये मतलब है कि मुज़्तर ही रहूँ मैं बज़्म-ए-क़ातिल में तड़पता लोटता दाख़िल हुआ आदाब-ए-महफ़िल…
Read Moreना-रसा आहें मिरी औज-ए-मरातिब पा गईं दिल से निकलीं लब तक आईं आसमाँ पर छा…
Read Moreमेरे जीने का तौर कुछ भी नहीं साँस चलती है और कुछ भी नहीं दिल…
Read Moreगर्दूं काँपा थर्राई ज़मीं चैन उन बिन आई मुश्किल से वो आह क़यामत थी शायद…
Read Moreदिल हमारी तरफ़ से साफ़ करो जो हुआ सो हुआ मुआफ़ करो मुझ से कहती…
Read Moreभरमत भूत संग, भंग मदमाते अंग, भसम रमाये भकुआए लसे बेस है । ग्रस्त उन्माद…
Read Moreमानुष जन्म महा दुखदाई । सुख नहिं पावत धनी रंक कोउ कोटिन किये उपाई ।…
Read Moreप्यारे परवीन सों पयारी ने पसारी मान, रूठि मुख फेरि बैठी आरसी की ओर है…
Read Moreआजु दिगम्बर के संग गौरि सुअवसर पेन्हि मचावती घूमे । गावति हे फगुआ अरुनारे, ‘सरोज’…
Read Moreकृष्ण नाम अति प्यारा हमको ॥ कटत पाप सब भाँति उचारे दिन में एकहि बार…
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