क्या हो जो उनके घर की यह राह भी न निकल
फूलों से तअ़ल्ल्लुक़ तो, अब भी है मगर इतना। जब ज़िक्रे-बहार आया, समझे कि बहार…
Read Moreफूलों से तअ़ल्ल्लुक़ तो, अब भी है मगर इतना। जब ज़िक्रे-बहार आया, समझे कि बहार…
Read Moreहाँ ऐ यक़ीनेवादा! दामन तेरा न छूटे। यह आसरा न टूटे वो आयें या न…
Read Moreउनके तो दिल से नक़्शे-कुदूरत भी मिट गया। हम शाद हैं कि दिल में कुदूरत…
Read Moreतर्के-तदबीर को भी देख लिया। यह भी तदबीर कारगर न हुई॥ यूँ मिली हर निगाह…
Read Moreबहार लाई है पैग़ामे-इनक़लाबे-बहार। समझ रहा हूँ मैं कलियों के मुसकराने को॥ काफ़िर सूरत देख…
Read Moreमिस्ल-ए-ख़याल आये थे आ कर चले गये दुनिया हमारी ग़म की बसा कर चले गये…
Read Moreजी ढूँढता है घर कोई दोनों जहाँ से दूर इस आपकी ज़मीं से अलग, आस्माँ…
Read Moreइश्क़ ने दिल में जगह की तो क़ज़ा भी आई दर्द दुनिया में जब आया…
Read Moreकरवाँ गुज़रा किया हम रहगुज़र देखा किये हर क़दम पर नक़्श-ए-पा-ए- राहबर देखा किये यास…
Read Moreमाल-ए-सोज़-ए-ग़म हाए! निहानी देखते जाओ भड़क उठी है शम्मा-ए-ज़िंदगानी देखते जाओ चले भी आओ वो…
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