रे मन जब जैसा तब वैसा।
रे मन जब जैसा तब वैसा। एई भंवर मांझे हरि लीला अजब तमाशा/रे मन। कबहीं…
Read Moreरे मन जब जैसा तब वैसा। एई भंवर मांझे हरि लीला अजब तमाशा/रे मन। कबहीं…
Read Moreगोकुला नगरिया में बाजेला बधइया हाय रे सँवरियों लाल। जनमे लें नंद के कुमार हाय…
Read Moreकुछो दिन नइहरा में खेलहूँ ना पवनी बारा जोरी से। संइयाँ मांगेला गवनवाँ हो राम…
Read Moreजा मुख राम नाम न आवे। भूले हूँ जे राम जपे ना सर्प विलासत जावें।…
Read Moreलोक में अविद्या के अनेक बकवाद भरे राम सुमिर खींच मन सबहीं के ओर से।…
Read Moreखेलइत रहलीं हम सुपुली मउनियाँ ए ननदिया मोरी है, आई गइलें डोलिया कहाँर। बाबा मोरा…
Read Moreहे पिंजरे के मैना भजन कर राम के। हार मांस के देह बनल बा आज…
Read Moreकइसे जाईं ससुरारी। खेलत मैं रहनी हो सिपुली मउनिया से आई गइले गवना के नियारी…
Read Moreपढ़े छवो शास्त्र ओ अठारहो पुरान देखे वेदों को भी आदि से अंत तक छाना…
Read Moreमौजों की सयासत से मायूस न हो ‘फ़ानी’। गरदाब की हर तह में साहिल नज़र…
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