भोरहीं के भूखे होइहें चलत पग दूखे होइहें
भोरहीं के भूखे होइहें चलत पग दूखे होइहें प्यासे मुख सूखे होइहें जागे मगु रात…
Read Moreभोरहीं के भूखे होइहें चलत पग दूखे होइहें प्यासे मुख सूखे होइहें जागे मगु रात…
Read Moreराम लखन मोरा बन के गमन कइलें हमरा के तेजी कहाँ गइलें हो लाल। जब…
Read Moreतुम कैसे सीता घोर विपिन मँह जैहों। गर्जत व्याघ्र सिंह बहुतेरो पर्वत देखि डेरैहों। उहाँ…
Read Moreसासू ननदिया मिलि के कइली ह झगड़वा पिया लेके अलगा रहब। ननदी के बोलिया ना…
Read Moreनित-नित देखीले सपनवाँ हो रघुनाथ कुँवर के। बन के गमन कीन्हीं हमनी के तजी दिन्हीं,…
Read Moreकोसिला सुमित्रा रानी करेली सगुनवाँ सें कब अइहें रामजी भवनवाँ हो लाल। ताहिरे समइए रामा…
Read Moreजहियासे पिया मोरा छुअलें लिलरवा, राम से ताहीं दिन से ना। छूटल बाबा के भवनावाँ…
Read Moreसास के विलोके सिंहिनी सी जमुहाई लेत ससुर के विलोके बार-बार मुँह बावती। ननद के…
Read Moreकटहर खरबंदा कचनार ओ कदंब अंब जम्बू फल कैंत केरा नीमू वो अनार हैं। अमला…
Read Moreहम त जनलीं कि बबुआ इनाम दीहें। हम नाहीं जनलीं कि जाने लीहें। बबुआ। केकई…
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