कमहीं के बस में नीम रिसी गृहस्थी लिए,
कमहीं के बस में नीम रिसी गृहस्थी लिए, कमहीं के बस में इन्द्र कितने भग…
Read Moreकमहीं के बस में नीम रिसी गृहस्थी लिए, कमहीं के बस में इन्द्र कितने भग…
Read Moreभागे नेवतहरी वस्त्र छोड़ि-छोड़ि द्वारन पे, भूत-प्रेत देखि-देखि माई-बाप कीन्हों हैं। कोई गिरे खाढ़ी दाढ़ी…
Read Moreब्राह्मण तो पोथी लिए भागे जात खिड़की राह खींचतु है आह-आह करे आह प्राण को।…
Read Moreराम जी के विमुखी को सुखी कवन देखा कहीं, राम जी के विमुखी होत दुखी…
Read Moreऊँख में मधुराई जइसे सेंधे में है नमकापन, तील में है तेल वो शीतलता ओले…
Read Moreमीठे-मीठे चीख-चीख धरी थी बैर, हेर-हेर बेर-बेर माँगि-माँगि खाई है। बेर की मिठाई को सराहें…
Read Moreदेखो भक्ति के कस में बस में आ गइलें राम। जूठहीं बइरिया पर लोभा गइलें…
Read Moreफड़कत भुजदंड मार्तण्ड को छिपाय लिन्हों मारूत सुत हनुमान लीला विस्तारी हैं सोहत लंगूर करे…
Read Moreभरोसा रही एक अंजनी कुँवर के। महावीर रणधीर जगत में भक्त सिरोमणि सियावर के। मनवांछित…
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