गरजत असाढ़ मास पागल घन घोर चहुँ
गरजत असाढ़ मास पागल घन घोर चहुँ सावन मनभावन मोरे जीव को डेरावत है भादो…
Read Moreगरजत असाढ़ मास पागल घन घोर चहुँ सावन मनभावन मोरे जीव को डेरावत है भादो…
Read Moreसावन में कन्हइया जरूर कहे आवन की आयो नहीं कान्हा रात तड़पत बितायो री। भादो…
Read Moreकृष्ण कन्हइया मोरा संग के खेलवना कि हमनी के तेजि के कहाँ गइलें हो लाल।…
Read Moreदगा दे के ना हो स्याम दगा दे के ना। स्याम गइलेंऽ मधुबनवाँ राम से…
Read Moreदगा दे के ना हो स्याम दगा दे के ना। स्याम गइलेंऽ मधुबनवाँ राम से…
Read Moreगोखुला नगरिया में बाजेला बधइया से जनमेलें कुँवर कन्हाई हो लाल। तबला मृदंग बाजे नाचेला…
Read Moreपानी भरे जात रहीं पकवा इनारवा बनवारी हो लागि गइलें ठग बटवार। बहियाँ ममोरे मोरा…
Read Moreसखि हे चहुँ दिसि घेरे बदरिया हमरी बारी उमिरिया ना। लवका लवके बिजली चमके उमिर…
Read Moreपिया मोरा गइले सखि हे पुरूबी बनिजीया से दें के गइलें ना। एगो सुगना खेलवनारामसे…
Read Moreनेहिवा लगाके दुखवा दे गइलें परदेसी सइयाँ/नेहवा अपने त गइलें पापी लिखि ना भेजाबे पाँती…
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